मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सोमवार, 9 अप्रैल 2018
छूना है मुझे चाँद को
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छूना है मुझे चाँद को सोचती हूँ कि कर लूँ, मैं भी कुछ मनमानियाँ , थोड़ी नदानियां उतार फेंकू, पैरों में पड़ी जंजीरे बदल दूँ, अपने हा...
शनिवार, 24 अक्तूबर 2015
उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। (एक प्रतीकात्मक कविता)
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उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। चाहत तो ऊँची उड़ान भरने की थी। पर पंखों में जान ही कहाँ थी! उस कुकुर ने मेरे कोमल डैने जो तोड़ दिए थे।...
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