मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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रविवार, 28 जनवरी 2018
कहंँवा हो प्यारे सखे
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कहंँवा हो प्यारे सखे गोपियाँ हैं राह तके! दर्शन की प्यास जगी, तन मन में आग लगी! बंसी की मधुर धुन, सुना दो सखे! गोपियाँ हैं राह ...
शनिवार, 21 मई 2016
धुंध
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किस ओर का रुख करूँ, जाऊँ किस ओर मंजिल बड़ी ही दूर जान पड़ती है। मन आज बड़ा ही विकल है, अकुलाहट का घेरा है हवा भी आज न जाने क्यूँ ,बेहद ...
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