हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत- शत प्रणाम ।
दाँव लगाकर प्राणों को ,
करते हो तुम काम।।
कड़ी धूप में स्वेद से तर ,
वर्दी का तुम मान हो रखते।
घुप्प अँधेरी रातों में भी ,
अपने फ़र्ज का भान हो रखते।।
तुम रखते हो अनुशासन का,
खयाल आठों याम।
हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।
अस्पताल के खुले कक्ष में,
शौच किया बेशरमों ने।।
थूका तुम पर,पत्थर मारे,
धृष्ट हुए बेरहमों ने।
फिर भी अपने धर्म को तुमने ,
दिया सदा अंजाम।
हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।
स्नेही जनों को पीछे छोड़
तुम अपना कर्तव्य निभाते।
खाद्य अन्न कहीं कम न पड़े,
वाहन दिन -रात चलाते।।
राष्ट्र की खातिर पीछे छोड़ा,
तुमने अपना धाम।
हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।
विपदा ऎसी देश में आई,
हर मन है घबराया -सा।
उहापोह में बीत रहे दिन,
हर चेहरा मुरझाया -सा।।
ऐसे संकट काल में खबरें,
पहुँचाते तुम सुबह- शाम।
हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।
विपदा ऎसी देश में आई,
जवाब देंहटाएंहर मन है घबराया -सा।
उहापोह में बीत रहे दिन,
हर चेहरा मुरझाया -सा।।
ऐसे संकट काल में खबरें,
पहुँचाते तुम सुबह- शाम। बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति 👌
धन्यवाद सखी
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