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गुरुवार, 28 मई 2020

कोरोना-

 माहिया छंद:(टप्पे 12,10,12)

कोरोना आया है
साथी सुन मेरे
अंतस घबराया है 

घबराना मत साथी
आँधी आने पर
कब डरती है बाती

ये हलकी पवन नहीं 
देख मरीजों को 
जाती अब आस रही

मत आस कभी खोना
सूरज निकलेगा
फिर काहे का रोना

बदली सी छायी है
देने दंड हमें 
कुदरत गुस्साई है

जीवन इक मेला है
दुःख छट जाएँगे
कुछ दिन का खेला है ।



2 टिप्‍पणियां:

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