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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

मोहन मधुर बजाओ बंशी...


मोहन मधुर बजाओ बंशी-भजन
मात्रा भार--16, 14
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
मोहन मधुर बजाओ बंशी,
प्रेम मगन हो इतराऊँ
देख देख पावन छवि तेरी 
मन ही मन मैं शरमाऊँ

अपलक राह तुम्हारी देखूँ
हे कान्हा तुम आ जाओ
टेर सुनो अब मेरी कान्हा 
यूँ मुझको मत तड़पाओ
छेड़ दो दिल के तार हरि ओ 
गीत खुशी के मैं गाऊँ

मैं हूँ जोगन तुम्हरी कान्हा 
तुम भी जोगी बन आओ 
नंदन वन में रास करेंगे 
लीला अपनी दिखलाओ 
बिना तुम्हारे कब तक कान्हा 
उर अन्तर को बहलाऊँ

बाट जोहती पलक बिछा कर
हे कान्हा तुम आ जाओ
माधव नाव फँसी मझधारे
आकर पार लगा जाओ 
हे मुरलीधर, हे सर्वेश्वर 
तुम्हें देख लूँ सुख पाऊँ 


सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7-4-2020 ) को " मन का दीया "( चर्चा अंक-3664) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,सुधा दी।

    जवाब देंहटाएं

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