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रविवार, 26 जनवरी 2020

सुधा की कह मुकरियाँ


1:
जगह जगह की सैर कराए
कभी रुलाए कभी हँसाए
लगता है मुझको वह अपना
क्या सखि साजन?
 ना सखि सपना

2:
चंचल मन में लहर उठाए
आंगन भी खिल खिल मुस्काए
मैं उसकी आवाज़ की कायल
क्या सखि साजन?
 ना सखि पायल

3:
चमके जैसे कोई तारा
सबको वह लगता है प्यारा
ऊँचे गगन का व‍ह महताब
क्या सखि साजन?
 नहीं अमिताभ

4:
हर कोना उजला कर जाता
आशाओं के दीप जलाता
कभी क्रोध में आता भरकर
क्या सखि साजन?
नहीं दिवाकर

5:
करता जी फिर गले लगाऊँ
उनसे मिलने को अकुलाऊँ
मैं उनके बागों की बुलबुल
क्या सखि साजन?
ना सखि बाबुल

6:
उसका स्वर है मुझे  लुभाता
मुझको हरदम पास बुलाता
उसके मित्र सभी बाजीगर
क्या सखि साजन?
ना सखि सागर

सुधा सिंह व्याघ्र ✍️

16 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-01-2020) को 'धुएँ के बादल' (चर्चा अंक- 3593) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 27 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बचपन की याद ताजा हो आई,सादर नमन ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रणाम आदरणीय. बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏

      हटाएं
  4. बहुत ही सुंदर सृजन ,सादर नमन सुधा जी

    जवाब देंहटाएं

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