IBlogger interview

रविवार, 6 सितंबर 2015

गुरु की महिमा


गुरु की महिमा का कोई, कैसे करे बखान।
गुरु केवल शब्द नहीं ,वह है गुणों की खान।

शिष्य के मन को उज्वल करता ,सूर्य समान गुरु का ज्ञान।
बिना गुरु भविष्य तमोमय,और स्याह है वर्तमान।

गुरु की महिमा समझी जिसने ,बन बैठा वह मनुज महान।
भूला विश्व कभी न उसको ,मात - पिता की बढाई शान।

गुरु द्रोण से पाकर शिक्षा ,अर्जुन देखो बना महान।
तीरंदाज न उसके जैसा,कौरव का किया काम तमाम।

आचरेकर सा गुरु जो पाया , बना सचिन क्रिकेट का भगवान।
देश - विदेश में नाम कमाया,और बढाई देश की शान।

परमहंस की बात मानकर, नरेंद्र बन गये विवेकानंद।
स्वज्ञान का मनवाकर लोहा, कर दिया पूरे विश्व को दंग।

पकड़ के उंगली कदम बढ़ाओ, करो नहीं खुद पर अभिमान।
दंभ को अपने रखो किनारे ,न कभी करो उनका अपमान ।

देव वाणी है ,गुरु की वाणी ,पूज्य भी वो ईश्वर के समान।
संशय उन पर कभी करो न , है ईश्वर पर यह शक के समान।

 सेवा में उनकी जुट जाओ, पा जाओगे आसमान।
धन - दौलत की प्यास उन्हें न ,उनको केवल दो सम्मान।

राह गुरु जो दिखलाते हैं , सदा ही उस पर करो गमन।
करके आत्मसात गुरु ज्ञान , महका लो तुम अपना चमन।







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पाठक की टिप्पणियाँ किसी भी रचनाकार के लिए पोषक तत्व के समान होती हैं ।अतः आपसे अनुरोध है कि अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों द्वारा मेरा मार्गदर्शन करें।☝️👇