मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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मंगलवार, 28 मार्च 2017
बाल कविता :भारत माँ के वीर सपूत हम
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भारत माँ के वीर सपूत हम, कभी नहीं घबराएंगे! नहीं डरेंगे दुश्मन से, छाती पर गोली खाएंगे! हम साहस से भरे हुए हैं, हर विपदा दूर भगाएंग...
2 टिप्पणियां:
सोमवार, 20 मार्च 2017
एक परिणय सूत्र ऐसा भी...
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साथ रहते -रहते दशकों बीत गए पर न् मैंने तुम्हे जाना, न् तुम् मुझे जान पाए। फिर भी एक साथ एक छत के नीचे जीए जा रहे है। क्या इसी को ...
रविवार, 19 मार्च 2017
अपनापन
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दादा दादी को पोते पहचानते नहीं नाना नानी को नवासे अब जानते नहीं न जाने कैसा कलयुगी चलन है ये कि रिश्ते इतने बेमाने हो गए! और ...
10 टिप्पणियां:
शनिवार, 11 मार्च 2017
रिज़ल्ट का दिन..
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सिया की मेहनत का आज गुणगान हो रहा है! रिया की कोशिशों का भी खूब बखान हो रहा है! जहाँ प्रथम का चेहरा खुशी से लाल हुआ जा रहा है! वही ...
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017
कलयुग या झूठ युग?
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भागती रही जिससे मैं हमेशा! जिससे हमेशा लड़ती रही! वही झूठ न जाने क्यूँ मुझे अपनी ओर खींच रहा है! क्यूँ अब मुझे वही सच लगने लगा है! क...
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