मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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रविवार, 20 दिसंबर 2015
कोयल
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कोयल तू चिड़ियों की रानी , चैत मास में आती है। अमराई में रौनक तुझसे, कली - कली मुसकाती है। तेरे आने की आहट से, बहार दौड़ी आती है।l ...
रविवार, 6 दिसंबर 2015
आखिर क्यों?
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एक ओर अकाल की आहट है, एक ओर प्रलयकारी वर्षा। हम सबकी ऐसी करनी है जिसकी हमको मिल रही सजा । थक गई है धरती सब सहकर ईश्वर को है दे रही स...
मंगलवार, 17 नवंबर 2015
तकदीर
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कैसी तेरी कलम थी ,कैसी तेरी लिखावट! पन्ना भी चुना रद्दी,स्याही में थी मिलावट! अक्षर हैं बड़े भद्दे ,न है कोई सजावट! धरती बनाई ऐसी ,कि ह...
रविवार, 15 नवंबर 2015
इंतज़ार
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अपने ज़ज़्बातों का इजहार करुं किससे! कौन है वह ,कहाँ है वह, अपना कहूँ किसे! वो आसपास कहीँ नजर आता नहीं। उसका पता भी कोई बतलाता न...
शनिवार, 24 अक्तूबर 2015
उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। (एक प्रतीकात्मक कविता)
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उस घडी का इंतजार मुझे अब भी है। चाहत तो ऊँची उड़ान भरने की थी। पर पंखों में जान ही कहाँ थी! उस कुकुर ने मेरे कोमल डैने जो तोड़ दिए थे।...
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