शनिवार, 19 सितंबर 2015

सेल्फ़ी के साइड इफ़ेक्ट

आया है जमाना सेल्फी का ,
और  लोग स्वयं में मस्त है।
ऐसा क्रेज कभी न देखा,
ये क्रेज  बड़ा जबरदस्त है।

बच्चे का जब जनम हुआ ,
तब डॉक्टर ने सेल्फी ले डाली।
देश विदेश में भ्रमण किया,
लगे हाथ सेल्फी ले डाली।

सेल्फी ली ऊँचे गुम्बद चढ़,
सेल्फी ली पहाड़ के शिख पर।
हो जन्मदिवस या पुण्यतिथि,
सेल्फी ली खूब बढ़ चढ़कर।

पति मरा सेल्फ़ी ले डाली,
बम फूटे सेल्फ़ी ले डाली।
सांप के संग सेल्फी की खातिर ,
जान यमराज के हाथ में डाली।

एक निरा सेल्फी की खातिर ,
पार्लर जाओ खूब सज धज लो।
समय बिताना संग अपनों के,
यह दृश्य हुआ अदृश्य समझ लो।

सेल (cell )को अपना मित्र बनाकर,
सेल्फी ली पोस्ट कर डाली।
कोई मौका छूट न पाया,
हर मौके सेल्फी ले डाली।

मंदिर जाओ मस्जिद जाओ,
जाओ चर्च और गुरद्वारे।
किसकी किसको फिक्र यहाँ है,
सेल्फी में सब मस्त हैं प्यारे।

सेल्फी से प्यार हुआ इतना,
कि युवा देश का भरमाया।
आधुनिक बनने की चाह में,
अपना चैन -सुकून गँवाया।

'सेल्फी वेल्फ़ी' छोड़ दो भैया,
मन को अपने मत भरमाओ।
यह  काम निरर्थक इसे छोड़ दो,
दिल से अपना फ़र्ज़ निभाओ।


सुधा सिंह




शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

मेघा रे।।

कृषकों के दृग हैं अम्बर पर,
आ जाओ अब मेघा रे।
तपन करो अब दूर धरा की,
ऐसे बरसो मेघा रे।
दूर देश की छोड़ यात्रा,
दे दो दर्शन अपना रे।

नदी-ताल सब सूख रहे हैं,
पय बरसाओ मेघा रे।
नगर -ग्राम सब पड़ा है सूना, 
जल्दी बरसो बदरा रे।
नयन तुम्हारे दरस को तरसें,
 झर गया सबका कजरा रे।

बहुत ही चुकी लुका -छिपी ,
अब मत बहकाओ मेघा रे।
खग ,मृग ,पादप, नर औ नारी,
सबकी प्यास बुझाओ रे।
मोर पपीहे लगें नाचने ,
बरसो यूँ सारंगा रे।

लूह बदन को जला न पाये, 
जमके बरसो मेघा रे।
उमड़ घुमड़ के ऐसे बरसो ,
खुश हो जाये सगरा रे।
धान्य से सबका घर भर जाये,
भर जाये सबका अँचरा रे।

हम सबको अब मत तरसाओ 
अब तो आ जाओ  मेघा रे।।

रविवार, 6 सितंबर 2015

गुरु की महिमा


गुरु की महिमा का कोई, कैसे करे बखान।
गुरु केवल शब्द नहीं ,वह है गुणों की खान।

शिष्य के मन को उज्वल करता ,सूर्य समान गुरु का ज्ञान।
बिना गुरु भविष्य तमोमय,और स्याह है वर्तमान।

गुरु की महिमा समझी जिसने ,बन बैठा वह मनुज महान।
भूला विश्व कभी न उसको ,मात - पिता की बढाई शान।

गुरु द्रोण से पाकर शिक्षा ,अर्जुन देखो बना महान।
तीरंदाज न उसके जैसा,कौरव का किया काम तमाम।

आचरेकर सा गुरु जो पाया , बना सचिन क्रिकेट का भगवान।
देश - विदेश में नाम कमाया,और बढाई देश की शान।

परमहंस की बात मानकर, नरेंद्र बन गये विवेकानंद।
स्वज्ञान का मनवाकर लोहा, कर दिया पूरे विश्व को दंग।

पकड़ के उंगली कदम बढ़ाओ, करो नहीं खुद पर अभिमान।
दंभ को अपने रखो किनारे ,न कभी करो उनका अपमान ।

देव वाणी है ,गुरु की वाणी ,पूज्य भी वो ईश्वर के समान।
संशय उन पर कभी करो न , है ईश्वर पर यह शक के समान।

 सेवा में उनकी जुट जाओ, पा जाओगे आसमान।
धन - दौलत की प्यास उन्हें न ,उनको केवल दो सम्मान।

राह गुरु जो दिखलाते हैं , सदा ही उस पर करो गमन।
करके आत्मसात गुरु ज्ञान , महका लो तुम अपना चमन।