मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
IBlogger interview
(यहां ले जाएं ...)
Home
सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
IBlogger interview
मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
▼
मंगलवार, 30 जुलाई 2019
कहाँ पाऊँ आपको..
›
कहाँ पाऊँ आपको, पापा... किन राहों में आपकी तलाश करूँ कुछ भी तो सूझता नहीं है अब सब कुछ तो शून्य कर गये आप... कहकर 'बहिनी...
8 टिप्पणियां:
रविवार, 30 जून 2019
हे शीर्षस्थ घर के मेरे...
›
बिखरते रिश्ते हे शीर्षस्थ घर के मेरे लखो तो टूट टूटकर सारे मोती यहाँ वहाँ पर बिखर रहे कोई अपने रूप पर मर मिटा है स्व...
6 टिप्पणियां:
शनिवार, 29 जून 2019
तलब...
›
तलब सितारों के आगे जहाँ खोजता हूँ । मैं धरती पर अपना मकां खोजता हूँ।। वो गुम है, मैं जिसका तलबगार हूँ । मैं हर शय में अपना खु...
6 टिप्पणियां:
बुधवार, 26 जून 2019
बरखा रानी....
›
Barish अमृत बनकर फिर से बरसो झम- झम बरसो बरखा रानी। अपना रूप मनोहर लेकर और सुघड़ बन जाओ रानी ।। बरसो तन पर, मन पर बरसो खे...
17 टिप्पणियां:
सोमवार, 10 जून 2019
बरस जा ऐ बदरी...
›
बरस जा ऐ बदरी.. तेरे आने से इस दरख्त को भी जीने की आस जगी है। बरस जा ऐ बदरी फिर से अनंत प्यास जगी है।। पपीहा बन तेरी बूंद को तरस...
11 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें