मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018
तन्हाई
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तन्हाई...नहीं होती मूक! होती है मुखर , अत्यंत प्रखर! उसकी अपनी भाषा है अपनी बोली है! जन्मती है जिसके भी भीतर ललकार...
सोमवार, 26 फ़रवरी 2018
रुसवाई
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आंसुओं को कैद कर लो मेरे कहीं बहकर ये फिर कोई राज न खोल दे मेरी रुसवाई में इनका भी बड़ा हाथ है.
शनिवार, 24 फ़रवरी 2018
प्रेम रस
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तुम कान्हा बन आओ तो नवनीत खिलाएँ भोले शंकर बन जाओ तो भंग - धतूर चढ़ाएं पर दिल तो प्रियवर के प्रेम से परिपूरित है. थोड़...
क्षणिकाएं
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1:पहचान यूँ तो उनसे हमारी जान पहचान बरसों की है पर.... फिर लगता है कि क्या उन्हें सचमुच जानते हैं हम ************** ...
शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018
प्रश्न
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उग आते हैं कुछ प्रश्न ऐसे जेहन की जमीन पर जैसे कुकुरमुत्ते और खींच लेते हैं सारी उर्वरता उस भूमि की जो थी बहुत शक्तिशाली जिसकी उपज ...
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