मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017
सुख का सूर्य
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सुख का सूर्य है कहाँ, कोई बताए ठौर! पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!! देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं! चूते चूते घट भी ...
सोमवार, 25 दिसंबर 2017
अब लौट आओ प्रियवर.....
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अब लौट आओ प्रियवर..... अकुलाता है मेरा उर अंतर.. शून्यता सी छाई है रिक्त हुआ अंतस्थल. पल पल युगों समान भए दीदार को नैना तरस गए इंतज...
रविवार, 10 दिसंबर 2017
पुरवाई
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अब स्वप्न हो गए.... वो मेड़ों के बीच से कलकल बहता जल वो पुरवाई, वो शीतल मंद बहता अनिल , गालों को चूमती वो मीठी बयार वो फगुआ...
मंगलवार, 5 दिसंबर 2017
शशि तुम चले गए
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शशि तुम चले गए, अपना आखिरी किरदार निभाने! इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम लिखवाकर, तुम चले गए ईश्वर की एक नई फ़िल्म करने! ...
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
मानवता की आवाज़
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कुछ चाहतों, ख्वाहिशों का अंबार लगा है! सपनों का एक फानूस आसमान में टंगा है! उछल कर,कभी कूदकर, उसे पाने की कोशिश में बार बार हो ज...
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