मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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गुरुवार, 30 नवंबर 2017
मानवता की आवाज़
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कुछ चाहतों, ख्वाहिशों का अंबार लगा है! सपनों का एक फानूस आसमान में टंगा है! उछल कर,कभी कूदकर, उसे पाने की कोशिश में बार बार हो ज...
रविवार, 26 नवंबर 2017
निष्पक्षता
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निष्पक्षता एक ऐसा गुण है जो सबके पास नहीं होता. सदैव निष्पक्ष रहने का दावा करने वाला मनुष्य भी कभी न कभी पक्षपात करता ही है. एक ही को...
रविवार, 12 नवंबर 2017
जीवन की विडम्बनाएँ
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बात नहीं करती मैं तारों और सितारों की न ही मैं बात करती हूँ खूबसूरत नजारो की मैं बात करती हूँ इंसानियत के पहरेदारों की मैं बा...
शनिवार, 4 नवंबर 2017
खर पतवार (एक प्रतीकात्मक कविता )
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खर पतवार (प्रतीकात्मक कविता) इक माली ने मदहोशी में बीज एक बो दिया था! न ही मिट्टी उर्वर थी, न बीज का दर्जा आला था! शी...
रविवार, 22 अक्तूबर 2017
मैं अकेली थी
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जरूरत थी मुझे तुम्हारी पर..... पर तुम नहीं थे! मैं अकेली थी! तुम कहीं नहीं थे! केवल तुम्हारी आरजू थी! तुम्हारी जुस्तजू थी! जो मु...
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