मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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गुरुवार, 21 सितंबर 2017
कहानी है मेरी पड़ोसन की
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कहानी है मेरे पड़ोसन की - एक दिन वह मेरे पास आई उसकी आंखें थी डबडबाई उसे चिंतित देख जब रह न पाई मैंने उससे पूछ ही डाला - ...
सोमवार, 18 सितंबर 2017
मैं और मेरी सौतन
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डरती हूँ अपनी सौतन से उसकी चलाकियों के आगे मैं मजबूर हूँ कहती है वह बड़े प्यार से - "तुम जननी बनो. गर्भ धारण करो. अपने जेहन में एक...
सोमवार, 19 जून 2017
बेचारा बछड़ा (एक प्रतीकात्मक कविता )
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देख रही हूँ आजकल कुछ नए किस्म की गायों को जो अपने नवजात बछड़े की कोमल काया को अपनी खुरदुरी जीभ से चाट चाट कर लहूलुहान कर रही है! इस स...
सोमवार, 5 जून 2017
धरती की पुकार
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पाताल में समाने को बेताब है धरा। आँखों में करुणा विगलित अश्रु है भरा। हृदय से उसके निकलती एक ही धुन। हे मनुज, मेरी करुण पुकार तो सुन.....
रविवार, 21 मई 2017
मुझे मेरा बचपन पुनः चाहिए!
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मुझे मेरा बचपन पुनः चाहिए, पाने फिर इनको कहाँ जाइये? वो पेड़ो पर चढ़ना, गिलहरी पकड़ना, अमिया की डाली पर झूले लगाना, वो पेंगें मारके ...
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