मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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सोमवार, 19 जून 2017
बेचारा बछड़ा (एक प्रतीकात्मक कविता )
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देख रही हूँ आजकल कुछ नए किस्म की गायों को जो अपने नवजात बछड़े की कोमल काया को अपनी खुरदुरी जीभ से चाट चाट कर लहूलुहान कर रही है! इस स...
सोमवार, 5 जून 2017
धरती की पुकार
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पाताल में समाने को बेताब है धरा। आँखों में करुणा विगलित अश्रु है भरा। हृदय से उसके निकलती एक ही धुन। हे मनुज, मेरी करुण पुकार तो सुन.....
रविवार, 21 मई 2017
मुझे मेरा बचपन पुनः चाहिए!
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मुझे मेरा बचपन पुनः चाहिए, पाने फिर इनको कहाँ जाइये? वो पेड़ो पर चढ़ना, गिलहरी पकड़ना, अमिया की डाली पर झूले लगाना, वो पेंगें मारके ...
सोमवार, 15 मई 2017
व्यस्त हूँ मैं
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व्यस्त हूँ मैं.. क्योंकि मेरे पास कोई काम नहीं है, इसलिए व्यस्त हूँ मैं... काम की खोज में हूँ! रोजगार की तलाश में हूँ! रोज दर - दर ...
शनिवार, 13 मई 2017
माँ
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माँ माँ ऐसा कुछ नहीं, जो तेरी ममता के समतुल्य है! मुझपर तेरा प्रेम, तेरा कर्ज अतुल्य है! धूप में सदा तू छाँह की तरह रही , पापा की...
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