मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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रविवार, 23 अप्रैल 2017
अहसास
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इल्म है मुझे कि तुम मेरे दुख का सबब भी न पूछोगे, सोचके कि कही तुम्हें आँसू न पोछने पड़ जाएं शायद अनजान बने रहना ही तुम्हें वाजिब लगता है...
गुरुवार, 20 अप्रैल 2017
तसव्वुर उनका.
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देखा उन्हें ख्यालों में खोए हुए, न जाने किसका तसव्वुर है, जो उन्हें उनसे ही जुदा कर रहा है. सुधा सिंह
मंगलवार, 28 मार्च 2017
आईना
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हमने उन्हें आईना दिखाया तो वे बुरा मान गए, शायद उन्हे सत्य से परहेज है.
बाल कविता :भारत माँ के वीर सपूत हम
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भारत माँ के वीर सपूत हम, कभी नहीं घबराएंगे! नहीं डरेंगे दुश्मन से, छाती पर गोली खाएंगे! हम साहस से भरे हुए हैं, हर विपदा दूर भगाएंग...
2 टिप्पणियां:
सोमवार, 20 मार्च 2017
एक परिणय सूत्र ऐसा भी...
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साथ रहते -रहते दशकों बीत गए पर न् मैंने तुम्हे जाना, न् तुम् मुझे जान पाए। फिर भी एक साथ एक छत के नीचे जीए जा रहे है। क्या इसी को ...
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