मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
IBlogger interview
(यहां ले जाएं ...)
Home
सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
IBlogger interview
मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
▼
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017
कलयुग या झूठ युग?
›
भागती रही जिससे मैं हमेशा! जिससे हमेशा लड़ती रही! वही झूठ न जाने क्यूँ मुझे अपनी ओर खींच रहा है! क्यूँ अब मुझे वही सच लगने लगा है! क...
शनिवार, 31 दिसंबर 2016
जिंदगी-तेरी आजमाइश अभी बाकी है!
›
जिन्दगी ... तेरी आजमाइश अभी बाकी है, मेरे ख्वाब अभी मुकम्मल कहाँ हुए? मेरी फरमाइशें अभी बाकी है । कई ख्वाहिशें अभी बाकी हैं। म...
गुरुवार, 29 दिसंबर 2016
माना कि मंजिल दूर है....
›
माना कि मंजिल दूर है, पर ये भी तो मशहूर है..... मजबूत इरादे हो अगर, पाषाण भी पिघला करते है। दृढ निश्चय कर ले इंसाँ तो, तूफ़ान भी ...
शनिवार, 17 दिसंबर 2016
ये झुर्रियाँ..।
›
ये झुर्रियाँ..। ये झुर्रियाँ मामूली नहीं, ये निशानी है अनुभवों की। इन्हें अपमान न समझो कोने में पड़ा कूड़ा नहीं ये, इन्हें घर का मा...
सोमवार, 5 दिसंबर 2016
यदा- कदा....
›
1: पास होकर भी , तेरे पास होने का, अहसास नही होता। न् जाने ये कैसी दूरी है , हम दोनों के दरमियाँ। 2: दिल तोड़ना और साथ छोड़ना तो ज़म...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें