मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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शुक्रवार, 4 नवंबर 2016
सूरज फिर निकलेगा ,फिर चमकेगा।
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संध्या चाहे कितनी भयावह क्यों न् हो। सूरज फिर निकलेगा ,फिर चमकेगा। संध्या तो संध्या है जब् भी आती है अपने साथ काली स्याह रातों का ...
तलाश
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तलाश कुछ समझ नही आता जिंदगी.... तेरी गिनती दोस्तों में करूँ या दुश्मनों में ! चिड़ियों की मानिंद दर रोज, घोंसलों से दाने की खोज में ...
शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016
आखिर कितने खुदा......
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तू तो खुदा है तेरे पास बहुतेरे काम होंगे .... लाखों करोड़ों सवाल होंगे... इसलिए हमारी छोटी- छोटी मुश्किलों के लिए तेरे पास समय नहीं , ...
मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016
मैं सत्य लिखती हूँ।
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मैं.... परमपिता परमेश्वर का ,आभार लिखती हूँ। जीवन को मधुर बनानेवाली ,खुशियों की बहार लिखती हूँ। इनकार में छुपा हुआ , इकरार लिखती हूँ। ...
मंगलवार, 20 सितंबर 2016
दोष किसका?
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(इन पंक्तियों में मैंने उन बेटियों की व्यथा लिखने की कोशिश की है जिनका शराबी पिता उन्हें घर में बंद करके न् जाने कहाँ चला गया और उन ब...
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