मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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मंगलवार, 5 जुलाई 2016
रैट रेस
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कलयुग अपनी चाल चल रहा , ठप्प पड़ा अनुशासन। मासूमो का चीरहरण,करता रहता दु:शासन। सच्चाई कलयुग में दासी, झूठ कर रहा शासन। गंधारी...
शनिवार, 28 मई 2016
मन की बात
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इतना जान लें बस हमें कि हम कोई खिलौना नहीं , चोट लगती है हमें और दर्द भी होता है । हमारे भीतर भी भावनायें है जो आह बनकर निकलती हैं टीस...
शनिवार, 21 मई 2016
धुंध
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किस ओर का रुख करूँ, जाऊँ किस ओर मंजिल बड़ी ही दूर जान पड़ती है। मन आज बड़ा ही विकल है, अकुलाहट का घेरा है हवा भी आज न जाने क्यूँ ,बेहद ...
मंगलवार, 22 मार्च 2016
होली
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रंगों का त्योहार है होली, खुशियाँ लेकर आता है। हर एक घर ,हर गली, मोहल्ला, रंगों से भर जाता है। मस्ती में सब झूमते रहते, भंग का र...
शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016
वसन्त
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ऋतु वसंत की छटा निराली, धरती पर फैली हरियाली। पेड़ों पर गाये कोयलिया, कलियों पर तितली मतवाली। मदमस्त पवन गमका उपवन, खुशबू से...
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