मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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सबरंग क्षितिज :विधा संगम
Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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शनिवार, 2 जनवरी 2016
उम्र अभी कच्ची है मेरी ,
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बाल श्रम रंगीन किताबें बस्तों की, मुझे अपनी ओर खिंचती हैं मेरा रोम - रोम आहें भरता , और रूह मेरी सिसकती है। अपनी बेटी की झलक त...
शुक्रवार, 1 जनवरी 2016
फिर एक जीवन बर्बाद हुआ
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सुनसान अँधेरी गलियों में, उस मैले - कुचैले चिथड़े पर वह दीन - अभागा सोता है। माँ के आँचल का अमृत, वो क्या जाने क्या होता है । माँ क...
बुधवार, 30 दिसंबर 2015
देखो ठण्ड का मौसम आया।
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देखो ठण्ड का मौसम आया। शीत लहर चली ऐसी कि, सबको कम्बल में सिमटाया। मन नहीं करता बिस्तर छोडूँ, मौसम ठण्ड का इतना भाया। 'सूरज...
रविवार, 20 दिसंबर 2015
कोयल
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कोयल तू चिड़ियों की रानी , चैत मास में आती है। अमराई में रौनक तुझसे, कली - कली मुसकाती है। तेरे आने की आहट से, बहार दौड़ी आती है।l ...
रविवार, 6 दिसंबर 2015
आखिर क्यों?
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एक ओर अकाल की आहट है, एक ओर प्रलयकारी वर्षा। हम सबकी ऐसी करनी है जिसकी हमको मिल रही सजा । थक गई है धरती सब सहकर ईश्वर को है दे रही स...
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