मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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शुक्रवार, 24 जुलाई 2015
ज़िंदगी
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ज़िंदगी,तुझे हक है कि तू मुझे आजमाये। तुझे हक है कि तू मेरे आँगन में मुस्कराये। तेरी मौजूदगी ,हर पल मुझे जीने का एहसास दिलाती है। तेरी ...
शनिवार, 18 जुलाई 2015
हम हंसने को मजबूर हो गए।
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अश्रु आखों से क्या गिरे, वो हमसे ही दूर हो गए। झूठी हंसी दिखाने को, हम भी मजबूर हो गए । वक्त भी बड़ा सितमगर है, अपने...
शुक्रवार, 17 जुलाई 2015
एकता
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आओ बच्चों हम सब सीखे, जीने का एक नया सलीका। हम सब अगर एक हो जाएँ , बाल न बांका होगा किसी का। हाथी झुंड में जब आता है, खू...
मंगलवार, 7 जुलाई 2015
क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ?
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क्यों वह कहीं और रोप दी जाती है ? जिस बगिया में वह अपनी पहली सांस लेती है । जिस उपवन को वह अपनी खुशबू से महकाती है । जिसे द...
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शुक्रवार, 3 जुलाई 2015
वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! !
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दिल अपना चीरकर किसे दिखाऊँ, जो इसे समझ सके, वो शख्स कहाँ से लाऊँ ! ! जो मेरे लफ्ज़ों को, तराज़ू में न तोले जो मुझे समझ ले, मेर...
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