मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
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गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018
ढल जा ऐ रात....
ढल जा ऐ रात...
मुझे सूरज को मनाना है
बहुत दिन हुए
न जाने क्यूँ...
मुझसे रूठा हुआ है...
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