आरक्षण लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आरक्षण लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

सुख का सूर्य

सुख का सूर्य है कहाँ, कोई बताए ठौर!
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिया चहुँ ओर!!
देख लिया चहुँ ओर कि बरसों बीत गए हैं!
चूते चूते घट भी अब तो रीत गए हैं!!
राम कसम अब थककर मैं तो चूर हो गया!
रोज हलाहल पीने को मजबूर हो गया !!
नेताओं के छल को मैं तो समझ न पाता !
निशि दिन उद्यम करने पर भी फल नहीं पाता !!
फल नहीं पाता, विधि ने कैसा रचा विधान!
खेतों में हल था मेरा, चूहे ले गए धान!!
आरक्षण के कारण, वे चुपड़ी रोटी खाते!
खोकर अपना हक, हम भूखे ही हैं  सोते !!
समीप देख परीक्षा हम जी जान लगाएँ!
बिना किसी मेहनत के वे पदस्थ हो जाएं!!
ज्यादती है यह सब, है नहीं बचा अब धैर्य!
कोई बता दो मुझे कहाँ है सुख का सूर्य!!
Pic credit :Google

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

आरक्षण



आरक्षण की आग लगी है ,
देश में ऐसा मचा बवाल ।
सोना की चिड़िया था जो,
चलता अब कछुए की चाल।

अम्बेडकर, गांधी ,नेहरू,
सबने चली सियासी चाल ।
देश की नीव को करके  खोखला ,
पकड़ा दी आरक्षण की ढाल।

आरक्षण की लाठी लेकर,
 कौवा चला हंस की चाल।
मेहनतकश मरता बेचारा ,
फंसके आरक्षण की जाल।

अनूसूचित जाति में जन्मे ,
तब तो समझो हुआ कमाल।
कुर्सी पर आराम से बैठो ,
और जेब में हाथ लो डाल।


बिना कुछ किये मिलेगा मेवा,
सोच न क्या है देश का हाल।
मेहनत से हमको क्या है लेना,
हम अनुसूचित जाति के लाल।

हम बैठ मजे से ऐश करेंगे ,
न होगा हमारा बांका बाल।
जिनको मरना है मर जाये,
हमसे न कोई करे सवाल।

उन सबका अधिकार छीनकर ,
कर देंगे उनको कंगाल।
पढ़ लिखकर हमको क्या करना ,
है साथ हमारे आरक्षण की ढाल।

वोट बैंक भी पास हमारे ,
और नेता है हमारी मुट्ठी में।
जिनको अपनी कुर्सी प्यारी,
वो करें हमारी देखभाल।