गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

आलोक बन बिखरना



कोई बढ़ रहा हो आगे, मंजिल की ओर अपने
रस्ता बड़ा कठिन हो, पर हो सुनहरे सपने
देखो खलल पड़े न , यह ध्यान देना तुम
कंटक विहीन मार्ग, उसका कर देना तुम

माँगे कोई सहारा, यदि हो वो बेसहारा
मेहनत तलब हो इन्सां, न हो अगर नकारा
बन जाना उसके संबल, दे देना उसको प्रश्रय
गर हो तुम्हारे बस में , बन जाना उसके शह तुम

भटका हुआ हो कोई या खो गया हो तम में
हो मद में चूर या फिर, डूबा हो किसी गम में
हो चाहता सुधरना, आलोक बन बिखरना
बन सोता रोशनी का, सूरज उगाना तुम
                                             पढ़िए :रैट रेस

दुर्बल बड़ा हो कोई, या हो घिरा अवसाद से
हो नियति से भीड़ा वो, या लड़ रहा उन्माद से 
हास और परिहास उसका, कदापि करना न तुम
यदि हो सके मुस्कान बन,अधरों पे फैलना तुम

न डालना कोई खलल,न किसी से बैर रखना
हर राग, द्वेष, ईर्ष्या से, दिल को मुक्त रखना
हर मार्ग है कंटीला, ये मत भूलना तुम
बस राह  पकड़ सत्य की, चलते ही जाना तुम

सुधा सिंह 🦋 

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